तेज़ दर्द में भी मुस्कुराना सीखा है तुमसे
डगमगाती कश्ती में न थरथराना सीखा है तुमसे
यूँ तो लोग बहादुर कहलाते है जंग लड़के लेकिन
ज़िन्दगी की जंग को लड़ते जाना सीखा है तुमसे
चाहे हो छाए काले बदल या हो छाया घोर अँधेरा
तुमको तो दिख जाता था दूर कही उगता सूरज
क्या कहना तुम्हारे साहस का क्या कहना तुम्हारा धीरज का
तुम्हारा वो मुस्कुरा कर सह लेना चाहे जो हो संकट
सलाम है तुमको चाहे आज तुम मेरे साथ नहीं
दिल में मेरे जीती रहोगी हमेशा जैसे जीती हो आज अभी