वो जो पलक झपकते ही गुज़र जाता है
एक लम्हा तो नहीं ?
वो जो खुशबु से सबको महकाता है
एक गुलाब का फूल तो नहीं?
वो जो होठो पर आकर खिल जाती है
एक मुस्कराहट तो नहीं?
वो जो अच्छे अच्छों को तड़पाती है
एक जुदाई की रात तो नहीं?
वो जो बार बार आती है
किसी की याद तो याद तो नहीं?
वो जो दिल से कभी न जाती है
किसी की फरियाद तो नहीं?
वो जो लब पर आकार ठहर जाती है
कोई अनकही बात तो नहीं?
वो जो सबको रोज़ जगाती है
कोई बुलंद आवाज़ तो नहीं?
और वो जो कविता लिखाते हैं
कोई छुपे हुए अरमान तो नहीं?