रातो को तन्हाई में, अक्सर सोचा करते हैं
क्या खास है पाया तुम में, तुम पर क्यों हम मरते हैं?
सवाल ये हमने किया खुद से जब, एक बार न सों बार किया
जवाब कभी न आया जुदा सा, हर बार एक इज़हार किया
तुम को पाकर हम हुए धनवान, तुमको खो कर हुए गरीब
कोशिश बहुत की हमने, पर बदल न पाए अपने नसीब
फिर भी दिल में एक आस है, तेरे पास होने का एहसास है
दूर तू नजरो से हो मगर, दिल के हर दम पास है
आजा अब लौट के आजा, तेरे बिना मन उदास है
जल्दी आजा, दौड़ के आजा, ना जाने कब तक इन साँसों में सांस है
(लेखिका : अनुष्का सूरी )
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