हम पंछी हैं नील गगन के
हमको तुम अब उड़ने दो
खुले आकाश में पतंगों जैसे
ऊंचाइयों को तुम छूने दो
हमको पिंजरों में न पकड़ो
हमारे पंखों को मत जकड़ो
हमको भी जीने दो कुछ जीवन
जिसमें हो कुछ भीगा सावन
हमको रहने दो तुम आज़ाद
बस इतनी सी हैं फरियाद