मेरे क़ातिल -हिंदी शायरी कविता

तेरे खंजर से हो कर घायल.. कौन न बनाना चाहेगा तुझे क़ातिल

चोट खा के तुझसे ये मेरा दिल, पा ही लेगा एक दिन अपनी मंज़िल |

तू यूँ ही मुस्कुराया करे हर पल.. चाहे हो या न हो तू मुझे हासिल |

सजी रहे यूँ ही तेरी हर महफ़िल, और दीदार तेरा होता रहे मेरे क़ातिल |

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