छाई हो घनघोर घटा – हिंदी कविता

छाई हो घनघोर घटा

या आसमान हो फटा – फटा

मुद के देख न पीछे तू

चाहे ऊपर या नीचे हो तू
समंदर की गहरायी हो
या चोटी की चढ़ाई हो
तू बस आगे बढ़ता जा
बढ़ता जा बस बढ़ता जा
कल की राह न देखा कर
आज में ही बस जिया कर
चाहे दुखों का हो पहाड़
तू बढ़ना आगे सीना फाड़
जीत की शहनाई बजेगी
रात की सुबह भी सजेगी
हिम्मत ताकत रखना तू आज
सफल हो होगा तेरा हर काज
जीवन तो एक लड़ाई है
कभी धूप कभी परछाई है
चेहरे पर रखना मुस्कान
और जीतेगा तू हर संग्राम
अंत में तुझे बधाई हो
पढ़ कर कुछ हिम्मत आई हो
तो बस अब होजा तय्यार
बढ़ने को आगे बस हर बार

2 thoughts on “छाई हो घनघोर घटा – हिंदी कविता

  1. I PRAY FOR YOUR LIFE THAT YUO TRULLY DESERVE ,A LIFE AS GOOD AS YOUR HEART,A LIGHT AS BRIGHT AS YOUR SMILE & A LIFE AS WONDER FULL AS YOU ARE. R K MALVI (PREMBHARTI)

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