तुझे पाने की तमन्ना कल भी थी
तुझे पाने की आरज़ू आज भी है
ज़माने की परवाह कल भी न थी
ज़माने का डर आज भी न है
तुझसे मिल के भी न मिल सकी मैं
इस ग़म का दिल में ज़ख्म है बन गया
जो मैं मर भी जाऊ अगर
खुदाया तुझे न भूल पाउ मैं
खुश रहे तू जहा भी रहे
मिल जाये तुझको हर ख़ुशी
तेरे साथ न रह सके तो क्या गिला
ख़ुशी इसी में है कि हम मिले थे कभी
(लेखिका : अनुष्का सूरी )
good one!!
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