माँ
तू कितनी सुन्दर है
तू कितनी भोरी है
प्यारी प्यारी है
तू कितनी शीतल है
तू कितनी पावन है
न्यारी न्यारी है
तेरे हाथो की बेसन की बर्फी
बार बार खाई
फिर भी याद आती है आज भी
मुझे वो मिठाई
तेरे जाने से
तेरे न होने से
ये दुनिया खाली है
माँ
तेरे बिना सूनी है
मेरी अखियाँ
तू नहीं है इसीलिए जागूँ
सारी सारी रतियाँ
तेरे जाने से
तेरे न होने से
ये बाहें खाली हैं
ये बाहें खाली हैं
माँ
तेरी वो बातें
तेरी वो डांटें
याद आती है आज भी
मुझको वो सब यादें
तेरे यूं जाने से
तेरे न होने से
सब कुछ सूना है
माँ
मैं बहुत बुरा
पूत हूँ तेरा
इसीलिए तो छोड़के मुझको
तूने यूं मुँह फेरा
कि न मेरे बुलाने से
न मेरे चिल्लाने से
न रोने से
न शोर मचाने से
तू कभी आती है
माँ
अब तो यही है इक मेरा सपना
जब भी जनम हो मेरा
बनूँ तेरा अपना
मेरी माँ है तू
मेरी माँ है तू
सबसे प्यारी है
माँ
माँ
माँ
– मेरी माँ डा सुष्मा सूरी को समर्पित (अनुष्का सूरी)
किसी को घर मिला किसी के हिस्से दुकां
आई,
मैं घर में छोटा था मेरे हिस्से मां आई .
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#Soulfulpoem ….
by munavar rana