इश्क में कैसा ये मंज़र आ रहा है
तेरा नशा रातों में अब जगा रहा है
अगर खुदा ने पूछा मुझको क्यों भुला दिया है
तो मैं कह दूंगा कि ये सब दिलदार का किया हुआ है
जो पी लेते हैं तेरी मस्त मस्त आँखों के जाम
वो हो जाते हैं तेरे बिना खरीदे हुए गुलाम
हम और किसी की क्या कहें अपना ही बुरा है हाल
सुना है कि जितनों को तूने लूटा है सब हुए माला माल
तो हम भी चले आये और तेरे दर पे दे दिया धरना
अब तू दे दे प्यार या मारे जूते हमको इस से क्या करना