बिना तीर, बिना खंजर के खून किये जाते हो
एक नज़र देखें क्या तुमको? दिसम्बर को भी जून किये जाते हो
सामने जब आते हो, देखें तुमको या कुछ कह भी पाएं
शायरी छोड़ो, हम तो खुद बोलना ही भूल जायें
जो सुन ले तुम्हारे मुख से गाली
तो फीकी लगे तारीफ की प्याली
क्या कहें तुमको, हम क्या बतलाएं
दर्द दे दिल का हाल हम क्या सुनाएं
तुम तो बस मुस्कुरा के चले जाते हो
हम को प्यार में पागल किये जाते हो