रौशनी है प्यारी सभी को
अंधकार से किसको प्यार है?
ज्ञान के दीपों के आगे..
अज्ञान को क्या अधिकार है? ..
सूरज की किरणों के आगे…
रात ने सुबह बुलाई है..
हर दिन उज्जवल हो अपना..
यही कामना करते हैं..
कौन है वो, जो रोज़ ही..
बदली को थामा करते है?
छाई हो घनघोर घटा..
या हो चाँद भी छुपा-छुपा..
सितारों की टिमटिमाती सी बाती ..
गुप-चुप कुछ कह जाती है..
उठो जागो.. बढ़ते चलो.. ये संसार तुम्हारा है..
पराजय की कल्पित दुःख को भूलो..
स्वर्ण विजयी कल हो जाओगे..
उठो जागो.. बढ़ते चलो..
थको न.. न ही हारो रे मन..
संघर्ष का नाम ही है जीवन..
उठो जागो बस बढ़ते चलो…
thanks,your idealogy will motivat to other to recover from sadness & will rout to wards path of bright life. ” prembharti” rk
Thanks so much. It motivates me to write more 🙂
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