खुले आकाश में उड़ने को आज़ाद हूँ मैं
मन की उम्मीदों को हकीक़त बनाने को आज़ाद हूँ मैं
मन चाह करने को, मन चाह पाने को.. आज़ाद हूँ मैं
कोयल सा गाने को, सितार , तबला बजने को.. आज़ाद हूँ मैं
ख़ुशी से चेह्चाहने को, रोने मुस्कुराने को.. आज़ाद हूँ मैं ..
तारों सा जगमगाने को, जो चाहो वो पाने को.. आज़ाद हूँ मैं ..
चाहे हो अँधेरी रात या हो सु:प्रभात, रोज़ मुस्कुराने को, आज़ाद हूँ मैं ..
है आज़ादी जिन वीरो ने दिलाई, जिन्होंने पराधीनता है भगाई
उनका गुणगान सम्मान गाने को, आजाद हूँ मैं
जय हिंद